तुलसी मानस मंदिर- रामचरितमानस की चौपाइयों से सजी हैं दीवारें

तुलसी मानस मंदिर- रामचरितमानस की चौपाइयों से सजी हैं दीवारें

तुलसी मानस मंदिर (Tulsi Manas Mandir) वाराणसी का एक ऐसा मंदिर है, जिसकी बनावट को देखकर हर कोई दंग रह जाता है। यूं तो वाराणसी में एक से बढ़कर एक मंदिर हैं, लेकिन तुलसी मानस मंदिर इन सभी मंदिरों से इस मायने में अलग है कि इसके अंदर की सभी दीवारों पर रामचरितमानस की चौपाइयां एवं दोहे लिखे हुए हैं। तुलसी मानस मंदिर का दर्शन करना भी अपने आप में एक विशेष अनुभव लेने वाला होता है, क्योंकि इस मंदिर की सुंदरता किसी के भी मन को मोह लेती है और कभी न भूलने वाली तस्वीरें मन के पटल पर अंकित कर देती हैं।

तुलसी मानस मंदिर का इतिहास (History of Tulsi Manas Mandir)

वाराणसी के मंदिरों (Temples in Varanasi) में बेहद प्रमुख स्थान रखने वाले तुलसी मानस मंदिर का महत्व भी कम नहीं है। यह मंदिर पूरी तरीके से संगमरमर से बना हुआ है। कलकत्ता के सेठ रतन लाल सुरेका को तुलसी मानस मंदिर के निर्माण का श्रेय जाता है। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1964 में तुलसी मानस मंदिर का उद्घाटन किया था।

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महर्षि वाल्मीकि ने हिंदुओं के पवित्र धर्मग्रंथ रामायण को 500 से 100 ईसा पूर्व के बीच लिखा था। रामायण संस्कृत में लिखा गया था। इसलिए इसे पढ़ना हर किसी के बस की बात नहीं थी। ऐसे में संत कवि तुलसीदास ने 16 वीं शताब्दी में सरल हिंदी भाषा में हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस लिखा था। ऐसा माना जाता है कि इसी जगह पर उन्होंने रामचरितमानस को लिखा था। इसलिए यहां तुलसी मानस मंदिर का निर्माण करवाया गया।

तुलसी मानस मंदिर की विशेषताएं (Features of Tulsi Manas Mandir)

तुलसी मानस मंदिर का इतिहास (Tulsi Manas Mandir history) तो आप ने जान लिया। अब हम आपको इसकी कुछ विशेषताओं के बारे में बताते हैं। तुलसी मानस मंदिर, जिसकी संगमरमर की दीवारों पर रामचरित मानस की चौपाइयों एवं दोहों की बड़े ही सुंदर तरीके से नक्काशी की गई है, इस मंदिर में बीच में भगवान श्री राम, माता जानकी, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर में माता अन्नपूर्णा की भी मूर्ति स्थापित की गई है। इनके अलावा भगवान शिव और सत्यनारायण की भी मूर्तियां मंदिर में देखने के लिए मिलती हैं, जिनकी भक्तगण पूजा-अर्चना करते हैं। रामचरितमानस की रचना करने वाले संत कवि तुलसीदास की प्रतिमा भी मंदिर के दूसरे तल पर स्थापित है।

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तुलसी मानस मंदिर वाराणसी (Tulsi Manas Mandir Varanasi) की ऊपरी मंजिल पर बड़े ही सुंदर तरीके से रामायण की झांकी सजाई गई है, जिसे देखने में एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है। इसकी वजह से भी बड़ी संख्या में पर्यटक इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं। तुलसी मानस मंदिर में कई त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें अन्नकूट, कृष्ण जन्माष्टमी और रामनवमी के त्योहार शामिल हैं। मंदिर में पहली मंजिल पर एक पुस्तकालय भी मौजूद है, जहां पर कि सभी भाषाओं में रामायण की दुर्लभ प्रतियां पढ़ने के लिए रखी गई हैं।

तुलसी मंदिर की फोटो (Tulsi Mandir Photo) खींचकर पर्यटक अपने साथ ले जाते हैं और बहुत से घरों में लोग फोटो को फ्रेम में मढ़वा कर भी दीवारों पर लटका देते हैं। तुलसी मानस मंदिर न केवल आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, बल्कि पर्यटन के हिसाब से भी भारत के मानचित्र पर यह विशेष स्थान रखता है।

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तुलसी मानस मंदिर वाराणसी का समय (Tulsi Manas Mandir Varanasi timing)

संकट मोचन मंदिर (Sankat mochan Mandir) के ही रास्ते में पड़ने वाला तुलसी मानस मंदिर सुबह 5:30 बजे भक्तों के दर्शन के लिए खुले जाता है और दोपहर 12:00 बजे तक यहां दर्शन किया जा सकता है। इसके बाद दर्शन के लिए मंदिर के दरवाजे बंद हो जाते हैं और दोपहर 3:30 बजे एक बार फिर से मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए खुल जाता है और रात 9:00 बजे तक आसानी से यहां दर्शन किया जा सकता है।

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कैसे पहुंचें तुलसी मानस मंदिर ?

दुर्गा कुण्ड वाराणसी (Durga Mandir Varanasi) के नजदीक ही संकट मोचन रोड पर जालान के समीप तुलसी मानस मंदिर स्थित है। तुलसी मानस मंदिर के नजदीकी रेलवे स्टेशन की बात करें तो यहां से वाराणसी जंक्शन की दूरी 6.4 किलोमीटर है। इसके अलावा बनारस रेलवे स्टेशन यहां से 6 किलोमीटर, जबकि वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यदि आप पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से यहां आ रहे हैं, तो आपको 19.7 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी।

यदि आप बस से वाराणसी पहुंचे हैं, तो वाराणसी बस स्टैंड से तुलसी मानस मंदिर की दूरी लगभग 5.7 किलोमीटर की है। आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा से भी आसानी से तुलसी मानस मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

तुलसी मानस मंदिर वाराणसी (Tulsi Manas Mandir Varanasi) की दूरी लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लगभग 27.4 किलोमीटर की है। तो इस तरह से आप फ्लाइट से भी वाराणसी पहुंच कर वहां से आसानी से तुलसी मानस मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

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निष्कर्ष

तुलसी मानस मंदिर (Tulsi Manas Mandir) घूमने के लिए आने वाले पर्यटक बहुत ही खुश होकर यहां से बाहर निकलते हैं। वह इसलिए कि तुलसी मानस मंदिर का निर्माण ही इस तरह से किया गया है कि इस मंदिर में प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक उर्जा से हर कोई भर जाता है। साथ ही यहां की दीवारों पर लिखे रामचरितमानस की चौपाइयों और दोहों को पढ़कर भी हर कोई प्रेम से अभिभूत हो जाता है। इसलिए यदि आपने भी अभी तक तुलसी मानस मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं, तो आपको भी एक बार यहां जरूर आना चाहिए, क्योंकि यहां जो चीजें आपको देखने के लिए मिलेंगी, उन्हें आपके लिए शायद जिंदगी भर भुला पाना मुमकिन नहीं होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

क्या तुलसी मानस मंदिर आज खुला है (Manas Mandir open today)?

जी हां, तुलसी मानस मंदिर आप घूमने के लिए जा सकते हैं। सुबह साढ़े 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर साढ़े 3 बजे से रात 9:00 बजे तक आप यहां पहुंच सकते हैं।

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तुलसी मानस मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है?

तुलसी मानस मंदिर घूमने के लिए यदि आप अक्टूबर से मार्च के दौरान आते हैं, तो यह सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि इस दौरान मौसम न तो ज्यादा गर्म और न ही ज्यादा ठंडा होता है।

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क्या तुलसी मानस मंदिर में हर कोई आ सकता है?

जी हां, तुलसी मानस मंदिर में हर किसी को आने की इजाजत है। यहां सभी धर्म, जाति और किसी भी देश के लोग दर्शन करने के लिए आ सकते हैं।

टीम वाराणसी मिरर

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