काशी विश्वनाथ मंदिर: देवों के देव महादेव का बसेरा

काशी विश्वनाथ मंदिर: देवों के देव महादेव का बसेरा
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काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) की महिमा वाकई अपरंपार है। जी हां, काशी का विश्वनाथ मंदिर हमारे देश के अलग-अलग जगहों पर स्थित उन 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, जो कि हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं और जहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। काशी विश्वनाथ मंदिर इन सभी ज्योतिर्लिंगों में भी बेहद प्रमुख स्थान इसलिए रखता है, क्योंकि इसके बारे में ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं यहां निवास करते हैं और जो कोई भी इस मंदिर में आकर महादेव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है, भगवान शिव की कृपा उन पर हमेशा बरसती रहती है। बीते 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर देने के बाद अब इस मंदिर में दर्शन और सुलभ हो गए हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास (History of Kashi Vishwanath Temple)

वाराणसी में मंदिरों (temples in varanasi) की कोई कमी नहीं है या फिर यूं कहें कि वाराणसी मंदिरों का ही शहर है, जहां आपको कदम-कदम पर मंदिर देखने के लिए मिल जाते हैं, लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर इन सब में सबसे विशेष इसलिए है, क्योंकि इस मंदिर का बड़ा ही प्राचीन इतिहास रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में आपको महाभारत और उपनिषद में भी पढ़ने के लिए मिलता है। इतिहास बताता है कि राजा हरिश्चंद्र ने 11वीं शताब्दी में विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

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विदेशी आक्रमणकारियों के निशाने पर काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी (Kashi Vishwanath Temple Varanasi) हमेशा से रहा और 1194 ईस्वी में मोहम्मद गौरी ने न केवल इस मंदिर को लूटा था, बल्कि इसे ध्वस्त भी करवा दिया था। मंदिर का निर्माण फिर से जरूर हुआ, मगर 1447 ईस्वी में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने एक बार फिर से इसे तुड़वा दिया। विश्वनाथ मंदिर को एक बार फिर से भव्य रूप में खड़ा करने का श्रेय पंडित नारायण भट्ट को जाता है, जिन्होंने 1550 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था, मगर इस मंदिर को भी शाहजहां ने 1632 ईस्वी में तोड़ने के लिए अपनी सेना भेज दी थी, जिसे कि हिंदुओं की तरफ से जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा था। इसके बावजूद काशी विश्वनाथ मंदिर को तो विध्वंस से बचा लिया गया, लेकिन वाराणसी के अन्य मंदिरों को तोड़ने में तब शाहजहां की सेना सफल रही थी।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास (Kashi Vishwanath Temple history) आपके यह जाने बिना भी अधूरा रहेगा कि इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने 1777 से 1780 ईस्वी के दौरान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह द्वारा इस पर सोने के छत्र का निर्माण करवाया गया था। परिसर में ज्ञानवापी का मंडप बनवाने का श्रेय जहां ग्वालियर की महारानी बैजाबाई को जाता है, वहीं विशाल नंदी की प्रतिमा स्थापित करवाने के लिए महाराजा नेपाल स्मरण किए जाते हैं।

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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का महत्व (Significance of Shri Kashi Vishwanath Temple)

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर (Shri Kashi Vishwanath Temple) की महिमा का जितना भी गुणगान किया जाए वह कम ही होगा, क्योंकि इसके बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने अपने त्रिशूल पर इसके साथ पूरी काशी को धारण कर रखा है। बताया जाता है कि यदि प्रलय भी आ जाए, तब भी वाराणसी को काशी विश्वनाथ मंदिर की वजह से कुछ भी नहीं होगा। काशी, जो कि वाराणसी और बनारस के नाम से भी जानी जाती है, यह वही धरती है, जहां पर सृष्टि उत्पन्न करने के लिए भगवान विष्णु ने कठोर तपस्या की थी और उन्होंने आशुतोष को प्रश्न किया था। इसके बाद ही सृष्टि की रचना करने वाले भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के नाभि-कमल से हुई थी।

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) की धरती काशी मोक्षदायिनी भी मानी गई है और ऐसी मान्यता है कि जो भी यहां अपने प्राणों का त्याग करता है, उसे मुक्ति मिल जाती है। मान्यताओं के मुताबिक जिस भी प्राणी के प्राण काशी की धरती पर निकलते हैं, उसके कान में मरते वक्त स्वयं भगवान शिव तारक मंत्र का उपदेश देते हैं, जिससे कि उसे जीवन-मरण के बंधन से हमेशा-हमेशा के लिए आजादी नसीब हो जाती है।

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काशी विश्वनाथ मंदिर घूमने कब और कैसे जाएं (When and How to Visit Kashi Vishwanath Temple)

काशी विश्वनाथ मंदिर के समय (Kashi Vishwanath Temple timings) की बात करें तो मंदिर सुबह 3 बजे खुल जाता है और इसमें रात 11 बजे तक आप दर्शन कर सकते हैं। मौसम के हिसाब से ठंड के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर घूमना सबसे ज्यादा आनंद देने वाला होता है। यानी कि अक्टूबर से मार्च का वक्त मंदिर आने के लिए सबसे बेहतर होता है। यदि आप मंदिर में होने वाली किसी आरती में शामिल नहीं होना चाहते हैं, तो आप शाम 7 बजे दर्शन के लिए मंदिर पहुंच सकते हैं, क्योंकि इस वक्त आपको लंबी कतार में नहीं लगना पड़ता है।

वाराणसी रेलवे स्टेशन और वाराणसी एयरपोर्ट से आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा के जरिए काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के शुरू हो जाने से मंदिर में दर्शन करना पहले से बहुत ही आसान हो गया है और आप टहलते हुए आराम से मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।

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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर (Shri Kashi Vishwanath Temple) में आरती

काशी विश्वनाथ मंदिर में आरती (Kashi Vishwanath Temple Aarti time) दिन भर में 5 बार होती है। सुबह 3 बजे से 4 बजे तक मंगला आरती होती है। सुबह 11:15 से 12:20 बजे तक भोग आरती होती है। शाम 7 बजे से 8:15 बजे तक आप संध्या आरती में शामिल हो सकते हैं। रात 9 बजे से 10:15 बजे तक श्रृंगार आरती होती है। इसके बाद रात 10:30 बजे से 11 बजे तक शयन आरती की जाती है।

ये चीजें भी कर सकते हैं आप

काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी (Kashi Vishwanath Temple Varanasi) घूमने के अलावा आप और भी कई चीजें वाराणसी में कर सकते हैं। आप चाहें तो पैदल ही अलग-अलग घाटों की सैर कर सकते हैं। नाव पर सवार होकर आप गंगा में विहार कर सकते हैं और आप गंगा स्नान भी कर सकते हैं।

इसके अलावा आप वाराणसी की सड़कों पर निकल कर इस प्राचीन शहर की सुंदरता को निहार सकते हैं और यहां के स्थानीय दुकानों में कपड़ों से लेकर हथकरघा उत्पादों आदि तक की खरीदारी भी कर सकते हैं।

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साथ ही काशी विश्वनाथ गली के आसपास आप तरह-तरह की खाने पीने की चीजें जैसे कि गोलगप्पे, ठंडी लस्सी और चाट आदि का स्वाद ले सकते हैं।

निष्कर्ष

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में दर्शन के लिए दुनियाभर से पर्यटक पहुंचते रहते हैं। अब जब काशी विश्वनाथ मंदिर का पूरी तरीके से कायाकल्प हो गया है, तो आपको भी एक बार मंदिर में दर्शन के लिए जरूर आना चाहिए। मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके आप न सिर्फ भगवान शिव को सच्ची श्रद्धा से प्रश्न करके अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि मंदिर एवं काशी की खूबसूरती को निहार कर हमेशा-हमेशा के लिए सुनहरे दृश्यों को अपनी यादों का अभिन्न हिस्सा बना सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास क्या घूमने वाली और भी जगहें हैं?

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जी हां, काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक गंगा घाट के अलावा और भी कई चीजें हैं, जिनका आप आनंद ले सकते हैं।

क्या काशी विश्वनाथ मंदिर आराम से पहुंचा जा सकता है?

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जी हां, काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने के लिए अब आपको तंग गलियों में ज्यादा घूमने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसका नवीनीकरण करके यहां तक पहुंचने के मार्ग को बेहद आसान बना दिया गया है।

काशी विश्वनाथ मंदिर में विदेशियों को प्रवेश की इजाजत है या नहीं?

काशी विश्वनाथ मंदिर में किसी के प्रवेश करने पर कोई पाबंदी नहीं है। यहां हर कोई दर्शन के लिए आ सकता है।

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टीम वाराणसी मिरर

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