अन्नपूर्णा मंदिर: साल में बस एक ही बार दर्शन देती हैं माता
अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple) वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। माता अन्नपूर्णा, जो कि तीनों लोगों की माता मानी गई हैं, उन्हीं का यह मंदिर है और साल में केवल धन त्रयोदशी के अवसर पर ही अन्नपूर्णा माता की स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन यहां भक्तों को होते हैं। धनतेरस से अन्नकूट तक 4 दिन के लिए साल में मंदिर के दरवाजे खुलते हैं, जिस दौरान देश और दुनिया भर से आए पर्यटकों का तांता लगा रहता है। इस लेख में हम आपके साथ वाराणसी के अन्नपूर्णा माता मंदिर से जुड़ी समस्त जानकारी विस्तार से साझा कर रहे हैं।
अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (Annapurna Temple Varanasi) का महत्व
अन्नपूर्णा देवी मंदिर (Annapurna Devi Mandir) का संबंध केवल वाराणसी से ही नहीं, बल्कि सहारनपुर से भी है। वह इसलिए कि माता अन्नपूर्णा शाकंभरी के नाम से भी जानी जाती हैं। ऐसे में उनका जो एक छोर काशी में स्थित है, यहां वे अन्नपूर्णा के नाम से विख्यात हैं, जबकि इनका जो दूसरा छोर सहारनपुर में है, वहां वे शाकंभरी के नाम से जानी जाती हैं। अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। खासकर जब दिवाली के समय चार दिनों के लिए मंदिर के कपाट खुलते हैं, तब अन्नपूर्णा माता के दर्शन एवं उनके खजाने को पाने के लिए बड़ी तादाद में भक्त उमड़ पड़ते हैं।
माता अन्नपूर्णा (Mata Annapurna) तीनों लोकों में खाद्यान्न की माता मानी गई हैं। जब धन त्रयोदशी के दिन श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए आते हैं, तब उन्हें मां का खजाना भी मिलता है। इस खजाने में चावल और धान का लावा के साथ सिक्का (अठन्नी) भी शामिल होता है, जिसके बारे में ऐसी मान्यता है कि यदि मां के इस सिक्के को भक्त कुबेर के खजाने की भांति अपने लॉकर में रखें, तो कभी भी उनके पास खाने-पीने और धन-धान्य की कोई कमी नहीं होगी। यही कारण है कि देश और दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु माता के स्वर्णमयी स्वरूप का दर्शन करने और इस खजाने एवं प्रसाद को प्राप्त करने के लिए यहां दौड़े चले आते हैं। बाकी दिनों में भी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित माता की प्रतीकात्मक प्रतिमा के दर्शन एवं उनकी पूजा की जा सकती है।
अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple) में केवल माता अन्नपूर्णा के ही नहीं, बल्कि कई अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित हैं, जिनमें भगवान शिव, माता पार्वती, मां काली और नरसिंह भगवान की प्रतिमाएं शामिल हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के बारे में यह बताया जाता है कि यहीं पर अन्नपूर्णा स्रोतों की रचना करके जगतगुरू आदि शंकराचार्य ने ज्ञान और वैराग्य को पाने की कामना की थी। ऐसी मान्यता है कि उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर से भी वाराणसी की अन्नपूर्णा माता देवी का संबंध है। अन्नपूर्णा मंदिर की दीवारों पर कई चित्र बने हुए हैं, जिनमें से एक चित्र में माता अन्नपूर्णा ने अपने हाथों में कलछी पकड़ी हुई है।
यह भी पढ़ें: तुलसी मानस मंदिर- रामचरितमानस की चौपाइयों से सजी हैं दीवारें
अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (Annapurna Temple Varanasi) का इतिहास
अन्नपूर्णा माता मंदिर (Annapurna Mata Temple) के इतिहास की बात करें तो इसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि एक बार काशी में बहुत ही भयानक अकाल पड़ गया था, जिसकी वजह से लोग यहां दाने-दाने को मोहताज हो गए थे और बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई थी। भगवान शिव को भी यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इस अकाल को दूर कैसे किया जाए। ऐसे में महादेव ध्यानमग्न हो गए थे और इसी दौरान उन्हें यह पता चला कि मां अन्नपूर्णा ही काशी को अब अकाल से बचा सकती हैं।
ऐसे में भगवान शिव भिक्षु बनकर माता अन्नपूर्णा के पास पहुंचे और उनसे उन्होंने भिक्षा मांगी। माता अन्नपूर्णा इससे बेहद प्रसन्न हो गईं और उन्होंने भगवान शिव को यह वचन दे दिया कि अब से काशी में कोई भी भूखा नहीं रहेगा और जिस किसी को भी उनका खजाना मिलेगा, उसे कभी अभाव की जिंदगी नहीं जीनी पड़ेगी। माना जाता है कि तब से मां अन्नपूर्णा ही काशी में किसी को अन्न की कमी नहीं होने देती हैं और जो कोई भी वाराणसी में रहता है, उसे अन्न की प्राप्ति माता अन्नपूर्णा की कृपा से ही होती है।
अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple) वाराणसी में माता अन्नपूर्णा की सोने वाली मूर्ति 500 साल पुरानी है। उनके सामने भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है, जिन्होंने कि हाथ में खप्पर लिया हुआ है और वे अन्नदान की मुद्रा में हैं। साथ ही यहां बाईं ओर भूदेवी का स्वर्ण विग्रह मौजूद है, जबकि दाईं ओर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित है।
अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी में दर्शन का समय (Annapurna Temple Varanasi Timings)
अन्नपूर्णा माता मंदिर (Annapurna Mata Temple) सुबह 4:00 बजे खुल जाता है और 11:30 बजे तक यहां पूजा-अर्चना की जा सकती है। इसके बाद शाम में 7:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक यहां पूजा हो सकती है। अन्नपूर्णा मंदिर में शाम 4:00 बजे माता की आरती होती है।
अन्नपूर्णा मंदिर कब और कैसे पहुंचें (When and How to reach Annapurna Mandir)
वैसे तो वाराणसी के अन्नपूर्णा माता मंदिर में धनतेरस से अन्नकूट तक 4 दिन माता के दर्शन किए जा सकते हैं, लेकिन बाकी दिनों में भी माता की प्रतीकात्मक प्रतिमा का दर्शन यहां भक्त कर सकते हैं। हालांकि माता का विशेष प्रसाद प्राप्त करने के लिए इन्हीं चार दिनों में भक्त बड़ी संख्या में उमड़ते हैं।
वाराणसी, बनारस और वाराणसी सिटी इन तीनों ही रेलवे स्टेशनों से आसानी से किसी भी वाहन से अन्नपूर्णा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
यदि आप हवाई मार्ग से अन्नपूर्णा माता मंदिर दर्शन करने के लिए आ रहे हैं, तो इसके लिए आपको वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरना पड़ेगा, जहां से कि आप कैब के जरिए आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
वाराणसी देश के सभी प्रमुख शहरों से सीधे तौर पर सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में आप अपने निजी वाहन से भी ड्राइव करते हुए यहां तक पहुंच सकते हैं।
निष्कर्ष
अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple) केवल वाराणसी या उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि देशभर में काफी महत्व रखता है और अपनी इसी महत्ता की वजह से यह बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ में मंदिर में स्थापित अनूठी प्रतिमा के दर्शन के लिए भी भक्त यहां पहुंचते हैं। जो कोई माता अन्नपूर्णा के मंदिर आकर मां के दर्शन कर लेता है और उनके विशेष प्रसाद का भागी बन जाता है, माना जाता है कि उसे अपनी जिंदगी में कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होती। इसलिए आपको भी एक बार माता अन्नपूर्णा का दर्शन और पूजा करने के लिए वाराणसी जरूर आना चाहिए।
ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
काशी विश्वनाथ मंदिर से अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (Kashi Vishvanath Temple to Annapurna Temple Varanasi) कितनी दूर है?
आप काशी विश्वनाथ मंदिर से त्रिपुरा भैरवी और विश्वनाथ गली होते हुए 3 मिनट में अन्नपूर्णा मंदिर पहुंच सकते हैं, जो कि यहां से 650 मीटर की दूरी पर स्थित है।
अन्नपूर्णा मंदिर में अभिषेक के लिए मैं कैसे बुक कर सकता हूं?
अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (Annapurna Temple Varanasi) में कोई भी अभिषेक नहीं होता है।
क्या माता अन्नपूर्णा का प्रसाद आसानी से प्राप्त हो जाता है?
माता अन्नपूर्णा के प्रसाद के लिए यहां भारी भीड़ जमा होती है और लंबी कतार लगती है। ऐसे में आपको लाइन में कई घंटे तक इंतजार करना पड़ सकता है।