वाराणसी बना यूपी का पहला CNG नाव संचालन वाला जिला, जानें कितना आया खर्च?
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदीय क्षेत्र वाराणसी वालों को सीएनजी नावों (CNG Boats) का खास तोहफा देने का ऐलान किया है। काशी को प्रदूषण रहित करने के लिए पर्यटन के क्षेत्र में बड़ा फैसला लिया गया है और यहां देव दीपावली तक सीएनजी नावों को शुरू किया जाएगा। पहले फेज में करीब 50 सीएनजी नावें चलेंगी और इन नावों की सामान्य चाल 10 किलोमीटर प्रति घंटे से चलेगी। इसके साथ ही वाराणसी उत्तर प्रदेश का ऐसा पहला जिला बन जाएगा जब सीएनजी नावों को वहां के घाटों में चलाया जाएगा। मगर सीएनजी नावों को बनाने में कितनी लागत आई है इसके बारे में आपको एक बार जरूर जान लेना चाहिए।
CNG Boats चलाने के लिए खर्च होगा इतना रुपया
नावों को सीएनजी में बदलने का फैसला केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्रायल के तौर पर 1 मार्च को शुभारंभ किया है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की केंद्र की ये योजना कितनी सफल होगी ये तो समय ही बताए लेकिन इसके लिए छोटी-बड़ी करीब 2000 नावों को सीएनजी में तब्दील करने की स्कीम तय हुई है। गंगा में सीएनजी नाव का ट्रायल होने के बाद गेल व नगर निगम के अधिकारियों ने अपनी तैयारियों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, गेल और नगर निगम के बीच नावों को सीएनजी में बदलने के लिए करीब 29।7 करोड़ रुपये खर्च होंगे जो CSR Fund के जरिए उपलब्ध कराए जाएंगे। छोटी नाव पर करीब 70 हजार की लागत आएगी तो वहीं बड़ी नावों में लगभग 2 लाख रुपये का खर्च आएगा।
क्या है सीएनजी नावों की खासियत?
- सीएनजी नाव की सामान्य गति 10 किमी प्रति घंटा होती है जिससे जल में रहने वाले जीवों को हानि नहीं पहुंचती है।
- सीएनजी नावों में आवाज और वाइब्रेशन नहीं होती है जिससे काशीवासियों को बेवजह की आवाजों और वाइब्रेशन से मुक्ति मिलेगी।
- सीएनजी नावों में बैठने वालों को ज्यादा खर्चा भी नहीं आएगा और घूमने उनका आनंद दोगुना हो जाएगा।
- सीएनजी में प्राकृतिक गैस मौजूद होती है जिससे धुंआ भी नहीं निकलता है और गंगा प्रदूषित होने से बची रहेगी।
- सीएनजी नावों को चलाने के लिए सरकार से चालकों को एक लाइसेंस भी अनिवार्य होगा जिससे इसमें घूमने वालों का जीवन भी सुरक्षित रह सकेगा।