Masan Holi 2023 Quotes: मणिकर्णिका पर महादेव का भस्म से अभिनंदन
मणिकर्णिका पर महादेव का भस्म से अभिनंदन- काशी की विख्यात मसान होली
यूँ तो पूरे भारत में होली के त्योहार का उल्लास और हुडदंग अपनी अलग अलग विशेषता के साथ जाना जाता है। पर बनारसी होली में भस्म की होली का अपना अलग अंदाज व महत्व है। यहाँ हम मसान होली 2023 कोट्स (Masan Holi 2023 Quotes)के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं कि वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के भस्म से होली खेलकर होली का आगाज होता है। ये अद्भुत नज़ारा आप रंगभरी एकादशी के ठीक दूसरे दिन देख सकते हैं।
महादेव की नगरी काशी जितनी पुरानी है उतना ही पुराना इसका इतिहास है। कहते हैं काशी के कण कण में शिव बसते हैं। यह उक्ति चरितार्थ होती है यहां की परंपरा और उत्सव में… यहां के त्योहारों में शिव का स्थान प्रमुख है। श्रावण मास, शिवरात्रि, रंगभरी एकादशी, मसान की होली, फिर होलिका दहन के बाद रंगो की होली, ये सभी त्यौहार शिव और शिवत्व को समर्पित हैं।
होली तो पूरे देश में धूमधाम से खेली जाती है। लेकिन फागुन का आगाज जिस अंदाज में काशी में होता है वैसा और कहीं नहीं देखने को मिलता। हिंदू पौराणिक शास्त्रों में उल्लेखित मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी को महादेव मां गौरी का गौना करा कर उन्हें पहली बार काशी लाए थे। महादेव व गौरी के अभिनंदन के उत्सव को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाया जाता है जिसमें पूरा जनमानस बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती को अबीर गुलाल लगाने के उपरांत परस्पर उत्साह और उल्लास में अबीर- गुलाल से होली खेलता है। पर इस होली में बाबा के प्रिय गण भूत, प्रेत, पिशाच,दृश्य, अदृश्य शक्तियां जिन्हें बाबा मानवों के बीच आने की अनुमति नहीं देते हैं, शामिल नहीं हो पाते।
अतः रंगभरी एकादशी के ठीक दूसरे दिन बाबा विश्वनाथ मणिकर्णिका के मसान मंदिर पर स्वयं आते हैं और अपने इन प्रिय गणों को होली खेलने की अनुमति देने के साथ ही उनके साथ जलती चिताओं के समक्ष भस्म की होली खेलते हैं।
मसान की होली कब और कैसे खेली जाएगी ?
इस बार उदया तिथि के अनुसार 3 मार्च, 2023 को रंग भरी एकादशी काशी में मनाई जाएगी। अतः उसके दूसरे दिन यानि 4 मार्च, 2023 को काशी के मणिकर्णिका घाट पर मसान नाथ के मंदिर पर चिता भस्म की होली खेलने के लिए लोग एकत्रित होंगे। बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों के साथ जलती चिताओं के बीच भस्म की होली खेलते हैं। फगुआ गाते हुए भक्तों का उत्साह दोपहर तक अपने चरम पर होता है क्योंकि मान्यता के अनुसार इस समय बाबा विश्वनाथ स्नान के लिए घाट पर आते हैं।
यहां आपको यह भी बता दें कि काशी के हरिश्चंद्र घाट पर रंगभरी एकादशी के दिन ही चिता भस्म की होली खेली जाती है और इसी दिन से काशी में होली का प्रारंभ माना जाता है।
मसान होली मान्यता
मान्यता के अनुसार मोक्ष की नगरी काशी में जन्म और मृत्यु दोनों ही उत्सव माने जाते हैं। चिता भस्म की होली मृत्यु को शोक का प्रतीक न मानकर मोक्ष का अभिनंदन मानती है। भक्त एक दूसरे पर चिता की भस्म लगाकर इस मान्यता की पुष्टि करते हैं। मणिकर्णिका पर चिता भस्म की होली इस बात का प्रमाण है कि शिव अपने सभी भक्तों के लिए समान रूप से दयालु हैं और अपनी कृपा से सभी को अनुग्रहीत करते हैं।
मसान होली महत्त्व
मसान होली या चिता भस्म की होली का पौराणिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्व है। काशी की परंपरा में होली का यह अनूठा आगाज अपने आप में अद्भुत और प्रामाणिक है। मसान की होली के माध्यम से काशी नगरी यह संदेश देती है कि बाबा की छत्रछाया में मृत्यु भी भयभीत नहीं कर सकती।
इस प्रकार काशी की चिता भस्म की होली में जलती चिताओं के बीच उड़ती भस्म बैखौफ और अड़भंगी भक्तों का भय के विरुद्ध उन्मुक्त शंखनाद है।
Masan Holi Quotes
नीचे दिए गए कोट्स के द्वारा आप अपने इष्ट मित्रों और शुभचिंतकों को मसान की होली से संबंधित शुभकामना संदेश प्रेषित कर सकते हैंं।
चिता भस्म का तर्पण,
मसान नाथ को अर्पण।
मृत्यु और मोक्ष का अभिनंदन,
शिव की काशी का है चंदन।
भूत, प्रेत, पिशाच,
आए औघड़दानी के आवास।
चिताओं की राख संग,
होली मसान नाथ के साथ।
मणिकर्णिका का घाट,
भस्म की होली का आगाज।
महादेव संग होली,
खेलें भूत, पिशाच।
जीवन संग मृत्यु का महोत्सव,
मणिकर्णिका के घाट।
रंगभरी एकादशी के बाद,
भस्म की होली का आगाज।
चिता की राख से होली का आगाज,
शिव व शव संग भस्म का मिलाप।
महादेव की नगरी में मृत्यु का शंखनाद,
शिव और सत्य का अभिनंदन है आज।