सांस्कृतिक समाजवाद पढ़ाने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बनने जा रहा बीएचयू
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के नाम एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज होने जा रही है। यह देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बनने जा रहा है, जहां सांस्कृतिक समाजवाद (Cultural Socialism) की पढ़ाई होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे लेकर पहले ही निर्देश दे चुके हैं। ऐसे में अब उनके निर्देश को अमलीजामा पहनाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है।
पीएमओ की प्राथमिकता सूची में शामिल
बीएचयू में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया चेयर फॉर स्टडीज ऑफ कल्चरल सोशलिज्म की स्थापना होने वाली है। सामाजिक विज्ञान संकाय में इसे शुरू किया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय की यह प्राथमिकता सूची में शामिल है। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय ने जब इसके लिए निर्देश जारी किए तो अब इसके गठन के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
गौरतलब है कि देश में कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जहां समाजवाद के साथ समाजवादी चिंतन को लेकर पढ़ाई होती रहती है। यहां तक कि इस क्षेत्र में शोध और अनुसंधान कार्य भी चल रहे हैं। फिर भी जहां तक सांस्कृतिक समाजवाद की पढ़ाई की बात है, तो देश के विश्वविद्यालयों में अब तक यह उपेक्षित ही रहा है। ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने अब इसकी पढ़ाई करवाने की योजना तैयार कर ली है।
फंड हो चुका है स्वीकृत
पहले ही 5 करोड़ रुपए का फंड इसकी स्थापना के लिए स्वीकृत कर लिया गया है। इस बारे में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र ने बताया है कि डॉ राम मनोहर लोहिया ने ही सबसे पहले सांस्कृतिक समाजवाद(Cultural Socialism) की स्थापना का नारा दिया था। यही वजह है कि शोध पीठ की स्थापना उन्हीं के नाम पर की जा रही है।
आत्मनिर्भर भारत के लिए
उन्होंने यह भी कहा कि भारत यदि पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनना चाहता है, तो इसके लिए सांस्कृतिक समाजवाद को हर किसी को समझना बहुत ही जरूरी है। यह तभी मुमकिन हो पाएगा, जब सही तरीके से इसका अध्ययन और अध्यापन हो। बीएचयू में जो नया शोध पीठ स्थापित होने जा रहा है, यहां सांस्कृतिक समाजवाद(Cultural Socialism) के संदर्भ में शोधकार्यों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
प्रोफ़ेसर मिश्र ने उम्मीद जताई है कि इस शोध पीठ की स्थापना से बाकी विश्वविद्यालय भी प्रेरणा लेंगे और वहां भी सांस्कृतिक समाजवाद की पढ़ाई शुरू होगी।