वाराणसी में और निर्मल होगी गंगा, डीजल इंजन नहीं, इससे चलेंगी नावें
वाराणसी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर प्रशासन पहले से अधिक सतर्क होता हुआ दिख रहा है। यही कारण है कि अब गंगा नदी में जो मोटर बोट चल रहे हैं, उन्हें भी धीरे-धीरे साइड करने की तैयारी में प्रशासन जुट गया है।
जी हां, अब ये मोटर बोट, जो डीजल इंजन से संचालित हो रहे हैं, इन्हें सीएनजी में बदलने के लिए प्रशासन हरकत में आ गया है। नगर निगम ने इस दिशा में काम करना शुरू भी कर दिया है। यह कदम नगर आयुक्त गौरांग राठी ने उठाया है।
होता जाएगा परियोजना का विस्तार
इस तरह से प्रदूषण से गंगा नदी को निजात मिल पाएगी। यह बात जरूर है कि इस परियोजना की शुरुआत छोटे स्तर पर हो रही है, लेकिन नगर आयुक्त ने तेजी से इसका विस्तार करने के संकेत दे दिए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि पांच नाविकों से नाव लिए जा रहे हैं और इसे कार्यदाई संस्था को दिया जा रहा है। इस संस्था की जिम्मेवारी है कि इनके डीजल इंजन को वे सीएनजी में परिवर्तित कर दें।
उन्होंने यह भी बताया है कि मार्च महीने तक 25 और अप्रैल तक 200 डीजल इंजन वाली नावों को सीएनजी में बदलने की योजना है। यह योजना इसी गति से आगे बढ़ेगी और मई से भी हर महीने 200 की संख्या में नावें सीएनजी में परिवर्तित की जाएंगी।
चिंताजनक हैं हालात
वाराणसी में वर्तमान में लगभग 800 पंजीकृत नावें गंगा नदी में चल रही हैं। हालांकि, यदि हकीकत को देखा जाए तो इनकी संख्या 1200 से भी अधिक है। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से लगभग 70 फीसदी नावों का संचालन मोटर से हो रहा है, जिसकी वजह से गंगा नदी में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। डीजल इंजन को सीएनजी में परिवर्तित करने के लिए नाविकों से सहायक नगर आयुक्त आशीष ओझा और गेल की टीम संपर्क कर रही है।
इन्हें मिली है जिम्मेवारी
नावों को डीजल इंजन से सीएनजी में परिवर्तित कराने की जिम्मेवारी सहायक नगर आयुक्त आशीष ओझा के साथ गेल के प्रबंध निदेशक एसके सिंह, स्मार्ट सिटी के प्रबंध निदेशक डी वासुदेवन, एनबीसीसी के प्रबंध निदेशक अनिल यादव, मेकॉन के प्रबंध निदेशक पीके दीक्षित समेत कई अन्य अधिकारियों को दी गई है। गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नगर आयुक्त द्वारा उठाए गए इस कदम से बहुत जल्द सकारात्मक परिणाम दिखने की उम्मीद है।