बनारसी लस्सी- कुल्हड़ में मिलने वाली बनारसी मिठास
बनारसी लस्सी. गर्मियों के दोपहर हो या शाम, बनारस की तेज गर्मी और चिलचिलाती धूप आपका हलक सुखा देती है, ऐसे में अद्भुत, अलौकिक, मलंग, मस्ती वाले बनारस की जीवन ऊर्जा से भरी हुई गलियों में पग फेरा करते हुए आप यहाँ के अनेकानेक व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं, ऐसे व्यंजन जो आपको बनारस में बारहों महीने मिल जायेंगे लेकिन कुछ व्यंजन ऐसे हैं जिनका स्वाद उनकी ठंडी तासीर के कारण गर्मियों में कई गुना बढ़ जाता है।
सर्व विद्या, सर्व ज्ञान की राजधानी बनारस ने दुनिया भर के कई सारे व्यंजनों को खुले दिल से गले लगाया है लेकिन एक बनारसी ट्विस्ट के साथ, और कई बार तो ये ट्विस्ट इतना मजेदार, जायकेदार होता है की वो व्यंजन बनारस का ही लगने लगता है जैसे की यहाँ की लस्सी।
बनारसी लस्सी इस लिए मशहूर है की यहाँ की लस्सी पी नहीं जाती खाई जाती है।
लस्सी का इतिहास
लस्सी एक दक्षिण एशियाई पेय है जो मूल रूप से मुल्तान ( पाकिस्तान ) और भारत में पंजाब की जमीन से जुड़ा हुआ है और जिसे प्राचीन समय की दही की स्मूदी ( smoothie ) भी कहा जा सकता है। जहाँ दही से लस्सी बनाने का कॉन्सेप्ट 1000 ईसा पूर्व के आस पास अस्तित्व में आया तो वहीँ दही की खोज करीब 4000 साल पहले बुल्गारिया में मानी जाती है।
लस्सी- ये नाम संस्कृत शब्द लसिका से लिया गया है जिसका अर्थ लार जैसा या सीरस ( serous ) है।
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लस्सी रेसिपी ( recipe )
लस्सी जहाँ पैदा हुई वहाँ इसे दही में पानी मिलाकर मथा जाता है और नमक, काला नमक, भुना जीरा पाउडर और पुदीने के साथ सर्व किया जाता है। लेकिन बनारस ने इस पारम्परिक लस्सी में इतने तरह के अनोखे स्वाद जोड़ दिए कि यहाँ की अनोखे रूप और स्वाद वाली लस्सी बनारस की पहचान हो गई।
बनारस में किसी भी दूकान पर जा कर अगर आप लस्सी पीना चाहेंगे तो आपको यहाँ मीठी लस्सी मिलेगी। नमक वाली लस्सी के लिए आपको अलग से बोलना पड़ेगा।
बनारस की लस्सी को बिना पानी डाले काफी देर मथा जाता है और इस मथने की प्रक्रिया में किसी भी तरह की मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता है फिर इसमें भरपूर चीनी डाली जाती है। लस्सी के ऊपर मलाई की एक मोटी परत बनारसी लस्सी की पहचान है।
बनारस में कहाँ और कौन कौन सी लस्सी पिएँ
का गुरु इहे जीवन हव, आवा राजा बनारस जैसी मीठी भाषा आपके गले उतरे ना उतरे लेकिन यहाँ की लस्सी की मिठास और तरह तरह के स्वाद आपके तन मन को ही नहीं आत्मा तक को तृप्त कर देंगे।
शिव प्रसाद लस्सी भण्डार
गंगा किनारे राम नगर के किले के पास शिव लस्सी वाले की दूकान पर आप रुक सकते हैं, इनकी लस्सी बेहद गाढ़ी होती है। कुल्हड़ में मिलने वाली इस मीठी लस्सी में रबड़ी और फिर मलाई डाली जाती है। यहाँ आपको ये मलाई रबड़ी से भरपूर लस्सी का कुल्हड़ सिर्फ 40 रुपये में मिलता है।
ब्लू लस्सी
कचौड़ी गली में पन्नालाल यादव जी की 90 साल पहले शुरू की गई ये दूकान आज अपनी ड्राई फ्रूट लस्सी, अनार लस्सी, मिक्स फ्रूट लस्सी, सैफरॉन लस्सी के साथ साथ 150 के करीब जायकेदार लस्सी के लिए फेमस है। यहाँ कीमत 120 रुपये से शुरू होती है।
पहलवान लस्सी
लंका पर संत गुरु रविदास द्वार के ठीक सामने 72 साल पुरानी पहलवान लस्सी की दुकान पर भी आपको लस्सी का एक अनोखा स्वाद मिलेगा। यहाँ आप रेग्युलर लस्सी, शुगर फ्री, स्ट्रॉबेरी, चॉकलेट, विशेष मसाले वाली, मिक्स फ्रूट लस्सी का आनंद ले सकते हैं। पहलवान जी का कहना है की उन की दुकान की रेग्युलर लस्सी सबसे ज्यादा फेमस है। यहाँ की लस्सी 20 रुपये से शुरू होती है।
बाबा लस्सी
ये आपको बंगाली टोला इलाके में मिलती है, यहाँ भी 20 रुपये में आपको लस्सी का एक कुल्हड़ मिल जाता है।
भांग लस्सी और ग्रीन लस्सी
अस्सी घाट के पास और गौदोलिया पर बादल ठंडाई के यहाँ आपको ग्रीन लस्सी मिलती है, इसकी कीमत 40 रुपये से शुरू है।
लस्सी से स्वास्थ्य लाभ
गर्मियों में लस्सी पीने के बहुत ज्यादा फायदें भी हैं। लस्सी में प्रोटीन और कैशियम की काफी मात्रा होती है, दही का प्रोबायोटिक बैक्टीरिया इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाता है। लस्सी ब्लड प्रेशर को ठीक रखने में भी सहायक है।
ई रजा बनारस हव, हियां अईबा त बिना लस्सी पिये जइबा नाही